बेहतर जीवन की तलाश में विदेशों में प्रवास करने का रुझान लंबे समय से रहा है। यदि वर्तमान समय को पंजाब के संदर्भ में देखें तो पंजाब से पलायन का चलन पिछले दो दशकों में तेजी से बढ़ा है, लेकिन कुछ पंजाबी ऐसे भी हैं जिन्होंने विदेशों में कारोबार स्थापित करके के बाद वापस पंजाब का रुख किया हैं। सतवंत सिंह ऐसे ही एक प्रवासी पंजाबी हैं। सतवंत सिंह की पृष्ठभूमि मुक्तसर जिले के मदीर गांव से जुड़ी है। सतवंत सिंह का परिवार तीन दशक पहले इटली चला गया था। सतवंत सिंह के मिट्टी के प्रति मोह ने उन्हें फिर से पंजाब की ओर खींचा। चूंकि सतवंत सिंह की पृष्ठभूमि एक किसान परिवार से थी, इसलिए उन्होंने गांव में आकर खेती शुरू की और अपना खुद का स्टड फार्म भी खोला। सतवंत सिंह का कहना है कि उनके परिवार में घोड़े पालने का शौक एक परंपरा है। पारिवारिक तंगी के कारण उन्हें विदेश जाना पड़ा। अब जब उनका काम पूरी तरह से इटली में स्थापित हो गया, तो उन्होंने अपने बच्चों को काम की जिम्मेदारी दी और गांव वापस आकर रहने का फैसला किया। सतवंत सिंह अच्छे नस्ल के घोड़े भी खरीदते और बेचते हैं और खुद ब्रीडर भी हैं।
वह तीन साल पहले पंजाब आए और स्टड फार्म को फिर से शुरू किया। सतवंत सिंह ने अपने खानदानी अनुभव के कारण इस काम से नाम और पैसा दोनों कमाए हैं, लेकिन उनका घोड़ा शिव और भी प्रसिद्ध हो गया है। दरअसल, शिवा दिवंगत पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला के गाने बांबिहा में दिखाया गया हैं, जिसके चलते मूसवाला के प्रशंसक घोड़े की एक झलक पाने और उसके साथ फोटो खिंचवाने के लिए उनके फार्म में उमड़ पड़े हैं। सिंह के मुताबिक, मुसेवाला के प्रशंसक उनके घोड़े शिव को खरीदने के लिए मुँह मांगी कीमत चुकाने को तैयार हैं, लेकिन वे इसे बेचना नहीं चाहते हैं। हालांकि, उन्हें घोड़े शिव के कारण अपने स्टड फार्म की लोकप्रियता पर गर्व है।
सतवंत सिंह का कहना है कि भले ही उन्हें अपने बच्चों की वजह से इटली जाना पड़ता है, लेकिन वे ज्यादातर पंजाब में ही रहते हैं। वे पंजाब में रहकर युवा पीढ़ी को स्टड फार्मिंग के पेशे से जोड़ना चाहते हैं ताकि पंजाबियों की विरासत का शौक अगली पीढ़ी तक पहुंच सके।
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