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गायिकी के जनून के साथ गरीबी से लोहा लेती बेटियाँ

कुदरत जब हुनर ​​देती है तो अमीर ग़रीब नहीं देखती। इसलिए कुदरत के उपहारों को अमूल्य कहा जाता है। पंजाब के बरनाला की झुग्गियों झोपड़ियों में रहने वाली दो सगी बहनों को कुदरत ने ऐसे ही गायिकी के कौशल के साथ नवाज़ा है कि सुनने वाला उनकी प्रशंसा करे बगैर नहीं रह सकता।

बरनाला में 25 एकड़ में बनी झुग्गी झोपड़ी में रहने वाली वरखा और शालू को बचपन से ही गाने का शौक रहा है। योगी बिरादरी से ताल्लुक रखने वाली इन बहनो का जन्म बेहद गरीबी परिवार में हुआ। मां लोगों के घरों में काम करती है और पिता कबाड़ का काम करते हैं। पांच बहनों में सबसे बड़ी शालू और वरखा को भी बचपन में रोटी कमाने के लिए अपने माता-पिता के साथ काम करना पड़ता था। ये लड़कियां दिन में काम करती हैं और शाम को एक एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे स्कूल में जा कर पढ़ाई करने जाती हैं। जब माता-पिता ने लड़कियों की प्रतिभा को पहचाना, तो उन्होंने अपनी बेटियों को गायन में प्रशिक्षित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी शुरू कर दी। बहुत ज्यादा गरीबी होने के बावजूद, उनके माता-पिता ने अपनी बेटियों के गाने के हुनर को निखरने के लिए खुद कई घरों में काम करके गुजर बसर कर रहे हैं। संगीत की शिक्षा के लिए अपने शहर से लुधियाना जाते समय कभी-कभी बार उनके पास बस का किराया भी नहीं होता है, इसलिए शहर के कुछ समाजसेवी उनकी मदद करते हैं। शालू और वरखा गायिकी में अपना नाम बनाना चाहती हैं ताकि वे अपने माता-पिता और बहनों को एक अच्छा जीवन दे सकें।

इन लड़कियों के जीवन और गायिकी के बारे में अधिक जानने के लिए आप नीचे दी गई वीडियो देख सकते हैं।

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